समाज में प्रसिद्धि के लिए, कहना सीखना होता है परिवार की समृद्धि के लिए, रहना सीखना होता है खुद की प्रसन्नता के लिए, सहना सीखना होता है। ये कहना रहना सहना, मूल मंत्र है सुखी जीवन के प्रसंग मिलते हैं इनसे, अनेकों अपनेपन के कहने के लिए मधुरता शब्दों में लाना रहने के लिए प्रेम को बढ़ाते जाना सहने के लिए अपने अहं को बिसराना इन गुणों के त्रिपुंज से सुख के विरले पुंज से जिंदगी खुशहाल होती मिलते हैं हर्ष के मोती। इस गुण त्रिवेणी संगम को अपना जाओ सबका साथ, सबका विकास, सबको अपनाओ।। रहना कहना सहना