कुछ तो मियाद होगी होने के लिए कुंदन कब तलक हालात की भट्टी में तपना होगा स्थिरता मेरी जिंदगी में आयेगी कभी या पत्तों की तरह हरदम आँधी में कँपना होगा अज्ञात ©Varun Vashisth #varubkagam