जब भी चुनाव आते हैं नेताओं के सपनों में भगवान आने लगते हैं लेकिन हम जैसे आम मतदाताओं के ऐसे भागे कहा हमें तो रात का लिखा हुआ सपना दिन में भूल जाते हैं जैसे हम करो ना कि दूसरी लहर के निवेशक को भी रह चुके हैं और तीसरी लहर के कहर से भी बेखौफ हैं भूलना हमारी फितरत में है बीती ताहि बिसार दे के चलते ही हम समूह अतीत को भूल गए इसलिए हमको बार-बार हमारा इतिहास याद दिलाना पड़ता है और तो और हम वह लोगों के जो प्रत्याशी द्वारा पिछले चुनाव में किए गए वादों को भूल जाएं हम सरकारों की उपलब्धियां याद नहीं रहती जो अधूरा छूट गया वही हमारी जैन में नाश्ता रहता है इस बार के इलेक्शन में चुनाव आयोग ने करुणा संक्रमण के पैसे चुनाव प्रचार में कुछ पाबंदी लगा दी है अब चुनाव में दौड़ भाग ना हो भीड़ जुट कर उची नीची ना छोड़ जाए तो उम्मीदवार और उनके कार्यकर्ताओं को बेहद ही होने लग जाती है इसके चलते ही बहुत सारे नेता इन दिनों अपनी पार्टी छोड़कर दूसरे दलों की ओर भागने लगे कुछ इधर उधर से भाग कर जा रहे हैं कुछ उधर से भाग कर आ रहे हैं आरोप प्रत्यारोप का मेला लगा हुआ है इस मेले की भीड़ में असली मुद्दा है सभी पार्टियों के प्रत्याशियों के टिकट रिपोर्ट कर रही है और कुछ पत्ते कट रहे हैं जिनके कट रहे हैं वह लोग अपने ही शीर्ष नेताओं को काटने का हाल हो रहे हैं ©Ek villain # चुनावी मौसम में भ्रम का पर्दा #humantouch