उसका हर कहा माना सिर्फ एक रिश्ता बचाने को हज़ार मिन्नते करता उस्से समझो इस दीवाने को फिर सोचता हूं में ही क्यू झुकु हर बार अपनी मोहब्बत पर कभी वो भी झुके अपनी मोहब्बत बचाने को मिल जाता कोई और उसे शायद तब समझती वो मेरी परवाह को अभी उसे घमंड है मेरी दीवानगी का एक दिन ऐसा आएगा तरसेगी मेरा प्यार पाने को -----भरत