मुल्क से मोहब्बत जो नही, वो दिल ही नहीं, फिर ऐसा दिल प्यार के काबिल ही नहीं.... छोड़ वतन ढूंढेगा जो मंज़िल को कभी, मिल जाएगी मंज़िल, वो मंज़िल ही नहीं.... काश के हम भी कहलाएं शहीदों में शहीद, वतन पर मिटने में कोई मुश्किल ही नहीं... क्यों न करूँ मै याद ए वतन हर महफ़िल में, जिसमे ज़िक्र ए वतन नही वो महफ़िल ही नही... Modassir Ahmad #nojoto #desh #bharat #deshbhakti #ghazal #independance #15august