वक़्त का मारा है पर हारा थोड़ी है बेशक़ यतीम है पर बेचारा थोड़ी है दो वक़्त की रोटी के लिये दरबदर भटकता रहा जिम्मेदारियां ख़ुद उठाई है किसी से माँगा थोड़ी है मुझे ताउम्र माँ की मोहब्बत तो मिल गयी ख़ुदा के सिवा उसका कोई सहारा थोड़ी है तुम अपने आशियाने सुकून से हो "शाहिद" उस मासूम का कोई आशियाना थोड़ी है ©Muradi Shahid वक़्त का मारा है #Nojoto #nojotopoetrywriter #muradishahid #muradishahidpoetry #muradishahidpoetry #muradi_shahid_shayari #muradi_shahid