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बद्जुबानों के सामने होठों को हमसे सिला नहीं जाता

बद्जुबानों के सामने होठों को हमसे सिला नहीं जाता
 दिये की ज्वाला नहीं हम हल्की फुल्की आंधियों में यूं हिला नहीं जाता
कह दो जालिमों से शब्र ओ इल्म का समुंदर हैं हम
गुरूर ए जहालत लेकर दिलों में हमसे मिला नहीं जाता

शब्र ओ इल्म-धैर्य और ज्ञान, गुरूर ए जहालत- अशिक्षा के कारण घमंड

आयुष कुमार गौतम बद्जुबानों के सामने होठों को सिला नहीं जाता
बद्जुबानों के सामने होठों को हमसे सिला नहीं जाता
 दिये की ज्वाला नहीं हम हल्की फुल्की आंधियों में यूं हिला नहीं जाता
कह दो जालिमों से शब्र ओ इल्म का समुंदर हैं हम
गुरूर ए जहालत लेकर दिलों में हमसे मिला नहीं जाता

शब्र ओ इल्म-धैर्य और ज्ञान, गुरूर ए जहालत- अशिक्षा के कारण घमंड

आयुष कुमार गौतम बद्जुबानों के सामने होठों को सिला नहीं जाता

बद्जुबानों के सामने होठों को सिला नहीं जाता