काश तुम्हे पता होता कि तुम्हारे चले जाने के बाद मुझपर क्या बीती थी तुम तो आगे बढ़ गयी पीछे मुड़कर देखा होता की उस वक़्त मेरी क्या स्तिथि थी मैंने तो ज़िन्दगी भर तुम्हारे साथ रहने का ख्वाब देख लिया था पर मुझे क्या पता था के तुम तो कुछ दिनों की अतिथी थी - दिव्यांश नारंग