हृदय का स्पंदन शिथिल हो चला है आँखों के कृदन से नमक खो गया है, हृदय पर दर्द की दरकती बिमाईयाँ आँखों के आँसू ढूंठ हो चले हैं.. गिद्धों के पर कोई छू भी न सका है मैना के घोंसले पर सिपाही तैनात हो गए है.. एक नेह का धागा टूटा है, किसी अपने से कोई अपना छूटा है.. कुछ ज़्यादा न बदला है.. कुछ ज़्यादा न बदलेगा.. गरीब का दुखड़ा दफन कर राजनीति की ढपली पर पत्रकारिता का राग चलेगा.. #yosimwrimo में आज के simile #challenge में #उससेबिछड़कर कैसा लगा के बारे में है। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #मीडियाराजनीति #बलात्कार #हथरस