मेरी प्यास को दरिया का पता बता दिया मेरी दुश्वारियों को मेरी खता बता दिया मैं मरूं अपने गाँव में ये ख्वाहिश थी मेरी तुमने मुझे एक सड़क का पता बता दिया मैं हर रोज मर रहा हूँ ये सबको मालूम है जिंदा है कितने लोग गिनकर बता दिया पाँव के छाले मेरे जब सफर में थक गए मरहम का कागजों में खर्चा बता दिया मैं मजदूर हूँ ये तो मेरे माथे पे लिखा था जरूरत मुझे हुई तो भिखारी बता दिया मौत आ ही जाएगी, ट्रॅक में या रेल में हाकिम हैं संगदिल मैंने मरकर बता दिया © जितेन्द्रनाथ मजदूर