गरज रहा है चाँद चाँदनी बरस रही है अम्बर से तन को आग लगाती शबनम निकल पड़ी अपने घर से सरस समीर बिखेर रहा है ख़ुशबू अपने प्रीतम की खुले गगन में बैन करत है रजनी देखो पतझर से सन सन सन करती पवन जलाते दीवाली तारे नभ में प्रेम गीत की ध्वनि आ रही शायद कहीं स्वयंवर से सन सन सन💐💐 #yqhindi #yqhindishayari #hindi #hindipoetry