और तमाम दुश्मन जीत के गुमान मॆं है... कई तीर तो अब भी मेरी कमान मॆं है..। इसलिए भी तॊ अक्सर ख़ामोश रहता हूँ... उसी का नाम मॆरी पहली ज़बान मॆं है..। ऎसा लगता था एक ही शख़्स हो शायद... पता है उसके जैसे और जहान मॆं है..। सफ़र मॆं है तो मुमकिन है के हादसा हो... लगता है बच जाएंगे जो मकान मॆं है..। हम दीवाने है यहां मोहब्बत मिलती है... वहा जाओ कि,इज़्ज़त उसके दुकान मॆं है..। उम्र भर मज़दूर रोज़ बदन खोदते रहॆ... हमे मालूम है हीरे किस खदान मॆं है..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 गुमान