अनवरत हम लिखते ही पाऐ जाएंगे शरारत हम हर रोज हंसीं किए जाएंगे हरारत दूर होती नहीं मेरी कैद हैं अब रिहा न हम किए जाएंगे ©अनुराग अचल #Likho