(महफ़ूज हूँ मैं) ---------- महफ़ूज हूँ मैं खुद के कारवाँ में साथ वादे लेकर कई आए चले गए।। महफ़ूज हूँ मैं खुद के जलजला में रौनक दिखाने कई आए बुझते चले गए।। महफ़ूज हूँ मैं अपनी सोच के संग रंग बदलते देखे कई बेरंग लोगो के।। महफ़ूज हूँ मैं अपने सीधेपन में आरी तिरछी भावना में कितनो को गिरते देखा।। महफ़ूज हूँ मैं धीमी रफ्तार में रफ्तार वालो को किनारे पे डूबते देखा।। महफ़ूज हूँ मैं आदतों से जिंदगी नही बदली रोज नए आदतों के संग इंसान को बदलते देखा।। दिलीप कुमार खाँ अनपढ़ #महफ़ूज हूँ मैं