(दर्प और दर्पण ) (भाग-- 1) एक दर्प था एक दर्पण एक दिन दोनों में बहस झिड़ी कर्कश दर्प ने बोला मैं न झुकूंगा इठलाता दर्पण बोला मैं न टूटूंगा इतने में फिर एक बालक आया आकर दोनों को खूब डांट लगाया। बोला अब तो बदल गई सारी बातें सबके अंदर है क्यूं अहम समाया।। इसको मैं आज भी समझ न पाया समाधान है इसका क्या ,कहकर बालक तेजी से चीखा चिल्लाया क्रमबद्ध निवदेन , एक अर्ज हमारा मैं हटाओ, ले आओ अब भाई चारा ©Shilpa yadav #MoonShayari #दर्प और#दर्पण#nojotohindi#nojotoenglish#kavita#poetry#shilpayadav#hindikavita#अहं शिवोम उपाध्याय