पुलवामा वीर शहीदों की वीरांगनाओं को समर्पित। पलके भीगी आँखें सूनी कैसे मनाऊँ #फाल्गुन का त्यौहार, छोड़ गये बीच राह पिया किसके लिए करूँ सोलह शृंगार। बिन जंग के दुश्मन खेल गया उस दिन कैसी खून की होली, कायरता की प्रतिमूर्ति था शायद जो कर गया पीठ पीछे वार। नववधू बन अभी अभी तो आई थी पिया दहलीज पे मैं तेरी, बीच राह में छोड़ गए अब कैसे करुँ तुझसे प्यार का इजहार। चूड़ी टूटी,कंगन छूटा और छूट गया मुझसे अब रंगों का नाता, फिर भी दिल न माने, सूनी अखियाँ बाट जोहे तेरी बार-बार। रो उठी आज 'गीत' की कलम लिखकर उस विरांगना का दर्द, जिसने सीने पर रखकर पत्थर चढ़ाया है पिया को पुष्पहार। #स्नेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली #ग़ज़ल_सृजन