एक लड़के के लफ्ज़ अपनी चाहत के लिए जो बहुत दिनो से मिला नही हैं और ना मिलने दे रहे हैं लडकी के घर वाले...... मैं बादल सावन का मेरा तेज भी बिजली जैसा तुझसे मिलने भी आऊं तो कैसे तेरे घर वालो का स्वाद नमक के जैसा मिलन अधूरा है ये कब तक तड़पेगा ये दिल मेरा प्यासा किसी रोज ले उडूंगा जब समझेगा ये वो किनारा सड़क के जैसा (लड़की का बाप किनारा) मेरी चाहत का घर आसमां में हैं उसका गमंड बालू रेत जैसा (लडकी का भाई) बिखर जायेगा हवा में न उधर का इदर का फसेगा ऐसा मैं बादल सावन का मेरा तेज़ भी बिजली जैसा.. ©Drx. Mahesh Ruhil #अधूरी_कहानी