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ढली गयी वक्त के साथ वो सुबह जिसमे चिड़ियां का चहचा

ढली गयी वक्त के साथ वो सुबह
जिसमे चिड़ियां का चहचाहना था
जिसके आंगन मे जाती थी
दाना - पानी मिल जाता था
खुश होकर जब उड़ती थी
100 दुआऐं देती थी
अब न चिड़ियां है
न आंगन है
सुने सबके दरवाजे है
और फिकें सबके व्यवहार है

©Himshree verma #चिडियाँ मेरे अल्फास
ढली गयी वक्त के साथ वो सुबह
जिसमे चिड़ियां का चहचाहना था
जिसके आंगन मे जाती थी
दाना - पानी मिल जाता था
खुश होकर जब उड़ती थी
100 दुआऐं देती थी
अब न चिड़ियां है
न आंगन है
सुने सबके दरवाजे है
और फिकें सबके व्यवहार है

©Himshree verma #चिडियाँ मेरे अल्फास