हर घड़ी में ये सोचती हूं कब ये बीमारियों से पीछा छूटेगा, कब इन सब से आम आदमी मुक्त होगा। मुश्किल तो बस गरीबो की है, कैसे वो सब इतना खर्चा उठायेगा। किमत नहीं रही अब ज़िन्दगी की इतनी इलाज से पहले काउंटर पर रुपये जमा कराने के लिए जो कहा जाता है। सभी लेखक-लेखिका को 🥳 प्यार भरा नमस्कार 🌱🙏 ✍️ करें आपकी सहेली के के साथ Collab अपने बहुमूल्य विचारों को अपनी लेखनी द्वारा व्यक्त करें हमारे साथ