झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं.. झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं.. अपने ही हाथों रचा स्वयं.. तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं… तुम हालातों की भट्टी में… जब-जब भी मुझको झोंकोगे… तब तपकर सोना बनूंगा मैं… तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोक़ोगे…।। Tum Mujhko kb tk Rokoge