मासूम जानवर -2 ★●★●★●★●★●★●★●★●★●★●★ इन मासूम जानवरों की हत्या को है बलि का नाम दिया । धर्म रूप में लिपटे मानव ने है अधर्म का काम किया ।। जब मानव हत्या होती है,तब शासन भी हिल जाता है , इन मूक जीव की हत्या को जन बड़े चाव से खाता है ।। बिन हत्या जो सब कुछ अपना तुमको अर्पण करते है । साथी सहभागी प्रकृति में जो साम्य निरूपण करते है ।। बाल,खाल,मांस और हड्डी तक भी जिनकी हमने बेची है । क्या ये मासूम जीव भी हमपर कभी दोषारोपण करते है ।। पर आरोप लगाता है मानव कि ये आत्मरक्षा कहलाता है । अपना असितत्व बचाये क्यों वहशी संज्ञा मिल जाता है ।। बलि देते हो या फिर भूखे हो,या दावन ,दैत्य निशाचर हो । मानव ही हो यह ज्ञात करो या तुम असुर धर्म के अनुचर हो !! दामन से लहूँ टपकता है जिस वसुधा को जननी कहते हो । क्या तुम विश्व पटल के अज्ञानी हो या चेतन रूपी खच्चर हो ।। तनिक जरा तुम ये भी सोचो प्रकृति को "राहुल" क्या दिया है । अपने ही स्वार्थ के हो वशीभूत हर उसका हर श्रृंगार लिया है ।। मानव होकर मानवता का क्यो न हम आज वृक्षारोपण करे । पतन भी फिर हो जाए असम्भव हम कुछ ऐसा प्रयत्न करें ।। गर इन बातों तुम्हे कष्ट हुआ बस नादान समझ कर क्षमा करें । अगर पंक्ति समझ मे न आयें तो दोबारा कविता का पाठ करें ।। #animal #मासूम_जानवर मासूम जानवर -2 ★●★●★●★●★●★●★●★●★●★●★ इन मासूम जानवरों की हत्या को है बलि का नाम दिया । धर्म रूप में लिपटे मानव ने है अधर्म का काम किया ।। जब मानव हत्या होती है,तब शासन भी हिल जाता है , इन मूक जीव की हत्या को जन बड़े चाव से खाता है ।।