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ग़ज़ल --- कहीं चराग़ की सूरत कहीं धुवां हूं मैं मुझ

ग़ज़ल
---
कहीं चराग़ की सूरत   कहीं धुवां हूं मैं
मुझे पता ही नहीं है   कहां-कहां हूं मैं

वो जाने क्यूं मिरे दिल के  क़रीब रहता है
न हम ख़याल हूं उसका  न हम ज़ुबां हूं मैं

मिरे सुख़न की ये लज़्ज़त है और मक़सद भी
वहीं पे प्यार लुटाऊं  जहां-जहां हूं मैं 

मिरे बदन पे सितारे हैं, चांद, सूरज भी
मुझे ये लगता है जैसे कि आसमां हूं मैं

मेरा वजूद है क़ायम  तिरे वजूद के साथ
जहां-जहां है तू दुनिया वहां-वहां हूं में ।।
-------- #अपनी जिन्दगी में गुम Nitu Sharma Pooja Laxmi Kumari Pushpa Lata Bharti Subita Maity
ग़ज़ल
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कहीं चराग़ की सूरत   कहीं धुवां हूं मैं
मुझे पता ही नहीं है   कहां-कहां हूं मैं

वो जाने क्यूं मिरे दिल के  क़रीब रहता है
न हम ख़याल हूं उसका  न हम ज़ुबां हूं मैं

मिरे सुख़न की ये लज़्ज़त है और मक़सद भी
वहीं पे प्यार लुटाऊं  जहां-जहां हूं मैं 

मिरे बदन पे सितारे हैं, चांद, सूरज भी
मुझे ये लगता है जैसे कि आसमां हूं मैं

मेरा वजूद है क़ायम  तिरे वजूद के साथ
जहां-जहां है तू दुनिया वहां-वहां हूं में ।।
-------- #अपनी जिन्दगी में गुम Nitu Sharma Pooja Laxmi Kumari Pushpa Lata Bharti Subita Maity