#OpenPoetry "प्रेम की डोर" "तुमने सदैव, "चाँद" को निहारा पलकों से,मैंने भी ह्रदय को बुहारा !! इस ह्रदय पर, मेरा है अधिकार यह सोच कर, मुझे था अभिमान !! वो अभिमान भी, झुठलाया है तुमने प्रेम मेरा पवित्र था, उसे भी ठुकराया है तुमने परन्तु.... मैं फिर भी साथ हूँ..! क्योंकि "परछाई" हूँ मै, आपकी तुम्हारे "प्रेम की डोर" से, बँधी हूँ मैं.!! तुम चाहो भी तो कैसे..?? "डोर प्रेम की" तोड़ पाऊँगी मंज़िल एक है हमारी मार्ग कैसे बदल पाऊँगी !! भले ही मैं "अभिशप्त" हूँ तुम रूठ कर चाहो भी तो ... दूर कहाँ हम जाए..? क्या .? कोशिश करे .... एक बार फिर "अजनबी" बन जाये..... ©✍🏻Poonam Bagadia "Punit" "तुम रूठ कर चाहो भी तो ... दूर कहाँ हम जाए..? क्या .? कोशिश करे .... एक बार फिर "अजनबी" बन जाये..... ©✍🏻Poonam Bagadia "Punit" पुराने पन्नों से.... इस कविता से बहुत से संस्मरण जुड़े हैं, जो हृदय को आज भी स्पर्श कर जाते है....😊 #OpenPoetry #EmotionalHindiQuoetstatic #NojotoHindi #Quoets #Author #Kalakaksh #Kavishala #Poetry #Love #life #Mohobbaten #Yaaden #कविता#प्यार #कला #संगीत #क़लम #कलमसे #ज़िन्दगी #यादें #एहसास #Shayari