मृत्यु सबकी प्रतीक्षा में है मेरी भी...और मैं जीवन की प्रतीक्षा नहीं करती वरन क्षणांशों में जी लेती हूँ पारिजात की रस सुगन्धि नयन अधर से पी लेती हूँ झर जाता है मुरझाता है सूरज की अगुवाई में वो सूरज के आने से पहले प्रसृत सरिस अमिय लेती हूँ फिर सूरज जब जो उपजाता सारे वर्ण तभी लेती हूँ... ढल जाती हूँ रोज़ शाम में रोज़ चाँद में जी लेती हूँ रात ओढ़ लेती हूँ तन पर सहज सितारे सी लेती हूँ #toyou#yqlife#yqzeal#yqinstant#yqlove#yqsun#yqmoon#yqnature