पहले शब्द कम पड़ जाते थे बोलने को लेकिन मुँह खोलने को “मन ” नही करता कभी कड़वी याद मिठे सच याद आते है आज सोचने तक को “मन” नहीं करता मैं कैसा था ?और कैसा हो गया हूँ लेकिन आज तो ये भी सोचने को “मन” नहीं करता #raat ki #baat