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पहले शब्द कम पड़ जाते थे बोलने को  लेकिन मुँह खोलन

पहले शब्द कम पड़ जाते थे बोलने को 

लेकिन मुँह खोलने को “मन ” नही करता 

कभी कड़वी याद मिठे सच याद आते है

आज सोचने तक को “मन” नहीं करता 

मैं कैसा था ?और कैसा हो गया हूँ  

लेकिन आज तो ये भी सोचने को “मन” नहीं करता #raat ki #baat
पहले शब्द कम पड़ जाते थे बोलने को 

लेकिन मुँह खोलने को “मन ” नही करता 

कभी कड़वी याद मिठे सच याद आते है

आज सोचने तक को “मन” नहीं करता 

मैं कैसा था ?और कैसा हो गया हूँ  

लेकिन आज तो ये भी सोचने को “मन” नहीं करता #raat ki #baat
uddeshikamaurya6380

Rushali

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