दिल की बेदर्दी में ग़मो पे नाज करता हूं तुम क्या बताओ गे 'हकीकत' जो मैं मोहब्बत सरेआम करता हूं उठाओ तख़्ती और कलम 'लिखो' जो तुम्हे राज देता हूं अये ग़ालिब यू ही नही मैं मोहब्बत कत्लेआम करता हूं ©Aditya Vishwakarma #आदित्य विश्वकर्मा