वक़्त गर साथ देता बुलाते तुम्हें गीत नग़्मा नया सा सुनाते तुम्हें महफ़िलें चाँद तारों से रौशन यहाँ भर के बाहों में हमदम सुलाते तुम्हें तुम फ़िज़ा हो तिलिस्मी सी महकी हुई अपनी साँसों में जानम बसाते तुम्हें चूर करते नशे में मुहब्बत की बस इन निगाहों से मय ही पिलाते तुम्हें हिज़्र में दास्ताँ क्या ही 'नेहा' कहे दूर रहकर नहीं हम सताते तुम्हें ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1072 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।