ढाती किसिपे कहर तो नहीं मेरी शायरी ज़हर तो नहीं करती है बातें मोहब्बत की अक्सर जलाती कोई शहर तो नहीं हौले से छूती है जाकर के दिल को डुबोदे ऐसी लहर तो नहीं छोटासा मानो घर है कोई भूल-भुलैया महल तो नहीं ©Bhimesh Bhitre #Love #ghazal #shayari #mohabbat