गुफ़्तगू - - - - - झुका दूँ हर ग़म को तुम्हारी याद के द्वार। गुफ़्तुगू तुमसे जो हो जाये इक बार।। आवाज़ में तुम्हारी जो मिठास है घुली। तुम्हारा दीवाना मुझे बनाने पर है तुली।। आकर देखना चाहे तो देख ले मेरा प्यार। एक ही सांस में लूँगा नाम तेरा सौ बार।। तुझसे गुफ़्तगू को मैं ले लूँ दस जन्म उधार। गुफ़्तुगू तुमसे जो हो जाये इक बार।। प्यार भरे दो दिलों की ये जो प्यारी सौगात। गुफ़्तगू से ही तो होती है शुरुआत।। दो दिलों के प्यार में है खुशियों का अंबार। गुफ़्तुगू में प्यार का है छिपा गुप्त संसार।। दिल ये करेगा तुम्हारा बार बार आभार। गुफ़्तुगू तुमसे जो हो जाये इक बार।। झुका दूँ हर ग़म को तुम्हारी याद के द्वार। गुफ़्तुगू तुमसे जो हो जाये इक बार।। अवधेश कनौजिया गुफ़्तगू - - - - - झुका दूँ हर ग़म को तुम्हारी याद के द्वार। गुफ़्तुगू तुमसे जो हो जाये इक बार।।