Nojoto: Largest Storytelling Platform

पंछी तिनका -तिनका जोड़ एक महल को बनाया, ना समझ य

पंछी तिनका -तिनका जोड़ एक महल को बनाया,
ना  समझ  ये  इंसान  पल भर  में बिखराया। 
नन्हीं और अमूक समझ इसका फायदा उठाया, 
मेरी खुशहाली दुनियाँ को पल भर में मिटाया। 

बस कसूर इतना मेरा इनकी पेड़ पर डाला डेरा, 
रोज सुबह उठकर के मैंनें प्रीत की धुन जो छेड़ा। 
इनके शोरगुल पर मैंनें कभी न  कोई वैर जताया, 
"पंछी" समझ कर उसने मुझको बेघर है बनाया। 

मेरी  तकलीफें  उनको  शायद  नजर  नहीं आती, 
तिल - तिल कर  मर  रहा  है हर रोज मेरा साथी। 
जल, थल और वायु में जहर है  इसने ही  फैलाया, 
धरा पर इनके कुकर्मैं से विनाश का टांडव है छाया। 

मौन क्यों है प्रकृति अब किस चीज़ का राह देख रहा, 
मेरी बनाई घोसलों से क्यों अपनी हाथों को सेक रहा। 
मैंने अपना  सारा परिवार  और  दोस्तों को है खोया, 
बिलख - बिलख कर मैंने हर दिन हर पल है रोया।। 
 
अपनी व्यथा को अब मैं किस किस को सुनाऊगा, 
"पंछी " हूँ पंछी बनकर ही मर कर चला जाऊंगा।। मेरी new poem
 पंछी
तिनका -तिनका जोड़ एक महल को बनाया,
ना  समझ  ये  इंसान  पल भर  में बिखराया। 
इन्हींऔर अमूक समझ इसका फायदा उठाया, 
मेरी खुशहाली दुनियाँ को पल भर में मिटाया। 

बस कसूर इतना मेरा इनकी पेड़ पर डाला डेरा,
पंछी तिनका -तिनका जोड़ एक महल को बनाया,
ना  समझ  ये  इंसान  पल भर  में बिखराया। 
नन्हीं और अमूक समझ इसका फायदा उठाया, 
मेरी खुशहाली दुनियाँ को पल भर में मिटाया। 

बस कसूर इतना मेरा इनकी पेड़ पर डाला डेरा, 
रोज सुबह उठकर के मैंनें प्रीत की धुन जो छेड़ा। 
इनके शोरगुल पर मैंनें कभी न  कोई वैर जताया, 
"पंछी" समझ कर उसने मुझको बेघर है बनाया। 

मेरी  तकलीफें  उनको  शायद  नजर  नहीं आती, 
तिल - तिल कर  मर  रहा  है हर रोज मेरा साथी। 
जल, थल और वायु में जहर है  इसने ही  फैलाया, 
धरा पर इनके कुकर्मैं से विनाश का टांडव है छाया। 

मौन क्यों है प्रकृति अब किस चीज़ का राह देख रहा, 
मेरी बनाई घोसलों से क्यों अपनी हाथों को सेक रहा। 
मैंने अपना  सारा परिवार  और  दोस्तों को है खोया, 
बिलख - बिलख कर मैंने हर दिन हर पल है रोया।। 
 
अपनी व्यथा को अब मैं किस किस को सुनाऊगा, 
"पंछी " हूँ पंछी बनकर ही मर कर चला जाऊंगा।। मेरी new poem
 पंछी
तिनका -तिनका जोड़ एक महल को बनाया,
ना  समझ  ये  इंसान  पल भर  में बिखराया। 
इन्हींऔर अमूक समझ इसका फायदा उठाया, 
मेरी खुशहाली दुनियाँ को पल भर में मिटाया। 

बस कसूर इतना मेरा इनकी पेड़ पर डाला डेरा,
kundanspoetry7099

KUNDAN KUNJ

Bronze Star
New Creator

मेरी new poem पंछी तिनका -तिनका जोड़ एक महल को बनाया, ना समझ ये इंसान पल भर में बिखराया। इन्हींऔर अमूक समझ इसका फायदा उठाया, मेरी खुशहाली दुनियाँ को पल भर में मिटाया। बस कसूर इतना मेरा इनकी पेड़ पर डाला डेरा,