तस्वीर है हाथों में , मुखड़ा है दर्पण में । जज़्बात की है आंधी तेरे अंतर्मन में। इन्कार करूं कैसे , इजहार पे पहरे हैं ,नादान मोहब्बत की हर बात है उलझन में ।। ©Ravi Ranjan Kumar Kausik #aaina और मुखड़ाPФФJД ЦDΞSHI Pushkar