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ज़ुबाँ पे खामोश रह जाये, हर किसी के पास वो बात है ह

ज़ुबाँ पे खामोश रह जाये, हर किसी के पास वो बात है
हर एक सीने को छल्ली कर जाये, ऐसे कुछ आघात हैं। 

क्यों ठोकरों को कोसा जाये, पलभर की तो मुलाकात हैं
बाद जिसके सुबह ना होगी, हर किसी के लिए वो रात है।। 

खामोश है दिल हर किसी का, 
हर किसी को ये एतबार है। 
हर  किसी  के  शिरोधरा पे, 
लटक रही कोई तलवार है। 

हर कोई है सहमा हुआ
तोड़ता इन्हे हर वार है
हर जिस्म में भय समा है
मरता बार-बार है। 

अब यादों की चिता जलाये है, हम पास खुद के आये हैं
कुछ फैसले अभी बाकी है, कुछ फासले हमने लाये है। 

साँसे खो चुकी हिम्मतों को, हमने फिर जगाये है, 
कोई आगाज जरूर होगा अब, कुछ हौसले उधार लाये है।।











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©K AtulYa
  #Reinvent
kaushalraj2765

K_ATulYA

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