CAPTION [इश्क़ की जात] सब बातें वो झूठी निकली कहते थे सब इश्क़ खुदा है कहते थे ये पाक इनायत जिसपे बरसी वो जीता है मैंने तो सब उल्टा पाया इश्क़ के पीछे जूते खाया गाली खाईं, लात भी खाई इसने धर धर के चमकाया यहां इश्क़ तो बटा हुआ है मजहब और फरेबी में यहां इश्क़ की जात बनी है और बटा हुआ है इश्क़ यहां पर दौलत और गरीबी में।