जो कभी गुज़री थी बिना दस्तक के तेरे दर से, कुछ और नहीं बस मेरे बिखरे हुए एहसास कुछ खामोश पड़े जज़्बात और बेहिसाब प्यार.. जो कभी तेरे दिल तक पहुँचे ही नहीं। जो कभी गुज़री थी बिना दस्तक के तेरे दर से, कुछ और नहीं बस मेरे बिखरे हुए एहसास कुछ खामोश पड़े जज़्बात और बेहिसाब प्यार..