बड़े बड़े सुल्तानों के मुँह से यह सुना,जब छुआ था पैर"माँ" का तब आसमान चुमा,,,omj ©Ombhakat Mohan( kalam mewar ki) जन्नत का दर तब खुलता है,जब माँ का आशीष मिलता है,,,सुन बात मेरी तु रिजवाना,मैं हुँ प्रेम का दिवाना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं मेरी ममता. के आँचल पर प्रेम तेरा में वार दुँ,,तेरे यौवन पर जौबन मैं,प्रण भीष्म सा श्रृंगार लुँ,,,,,,,,,जब माँ का आशीश मिलता है,,,तब दर जन्नत का खुलता है,,,,,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड की कृत,, नयनसी परमार Ashish 9917374450 Internet Jockey Mukesh Poonia Gaganjit K