ज़िन्देगी बहूत अच्छी थी, जब मैं बच्ची थी, नादानी थी माफ़ी के काबिल और दोस्ती भी पक्की थी धीरे धीरे बडे हुए, रिश्ते बदलते गए, कुछ लोग आगे निकल गए और कुछ अपने पिछे छूट गए हर रिश्ता अपना पेहचान खोने लगी, और धीरे धीरे सब दोस्त बिछडते गए क्या बताए हम लोग आज़ कितने बडे हो गए जो दोस्त कभी जान हुआ करते थे उन्ही को भूलते गए #आज़हमकितनेबडेहोगए #मेरीकविता ❤