क्योकिं अब उम्र हो गई है नन्हें कदम गर्भ से इस संसार मे करते है प्रवेश क्योकि नौ महिने की अब उम्र हो गई है, नन्ही हथेलियों ने थामे थे आज माँ का हाथ क्योकि अब उम्र हो गई है। इन नन्हे कन्धों पर किताबो का बोझ और हाथ मे पेन्सिल का ज़ोर क्योकि अब उम्र हो गई। बटाने लगी मै भी माँ का हाथ ना जाने कब बन गई घर की लाज़ इतना भी सोचना क्या नही था सबको गवार क्योकिं अब उम्र हो गई है जल्द ही स्कूल से मै भी हुई पास भैया की तरह मुझे भी जाना था कॉलेज उसके साथ मैने भी कर दिखाया हर एग्ज़ामिनेशन पास सोचने पर कर दिया सभी को एक साथ ना जाने क्यू मेरे पढ़ने पर ही था सबको ऐतराज मुझमे धन और इज़्ज़त की करने लगे वो बात सोचा मैने भी खूब उस रात की अब उम्र हो गई है। जैसे जैसे मैं बड़ी हूँ ,नज़रे नीचे होती गई रंग दुप्पटो से ज्यादा बीता मे बढ़ने लगे जल्द ही मेरी भी जिम्मेदारियां बढ़ने लगने क्योकि अब उम्र हो गई दावेदारीया बढ़ने लगी। मै भी एक दिन हुई तैयार एक नया बसाने को संसार एक नया बनाने को प्यार हमसफ़र का पथ घर बार पालकी का बोझ लेकर मै पहुची थी अपने ससुराल नयी माँ और नये पिता का नाम जपू मै बारम्बार ज़िंदगी एक दिन फिर नयी हो गई 21 की मै महिनो सी हो गई बीत गये मेरे भी साल क्योकि अब अब उम्र हो गई कुछ दिन मे आयी फरमायशें लड़का देदो पोता देदो मै भी कुछ थोडा हुई परेशान फिर हो गई सबके सामान सबके साथ तो होता है सबका बच्चा होता है क्योकि अब उम्र हो गई क्या था मेरा इतना जीवन एक बच्ची से बच्चे तक जवाब दीवार ने दिया नही, आखिर कब पथ्थर बोले है मै कितना पूछू जान पटक दूं मुर्दे क्या कब्र से डोले है इतना ना जाने क्यू हुई परेशान आखिर अब उम्र हो गई है। बस गया मेरा भी परिवार बच्चे मेरे भी यही कोई दो हम चार धीरे धीरे उमर चली बालो के रंग भी जैसे बदले है देखा मैने एक ही चीज जो जैसे थे कल आज वैसे है इनसे ना उम्मीद मुझे बस खुद पर एक अभिमान है चाहे उमर कितनी भी हो मेरी बेटियाँ मेरी जान है। ना तौलुंगी समाज से बतकरे से ना हाथ फैलाऊंगी पैदा जिन्हे कियà है मैने एक नया संसार बनाऊंगी। हर रास्ता खोजूंगी रोशनी के साथ इनके दीपक मै बन जाऊंगी जिन्होने मेरी ज़िंदगी मे आग लगा दी उसका भी घर रौशन कर जाऊंगी। क्योकिं अब उमर हो गई है।#कविता #जीवन #बड़े_दिन_बाद #nojoto2020 #नोजोटो #माँ #nojotoहिन्दी #shadesoflife