#समीर तिवारी यह बारिश र्भी क्या बारिश है बस बाहर की आग बुझाती है अन्तस मे जो धधका करती उसको छू तक भी ना पाती है घास फूस मिट्टी के ठौर ठिकानो को पलभर मे तहस नहस करती पत्थर के महलो के आगे नाली बन कर बह जाती है. ©समीर तिवारी #MereKhayaal