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खत जो लिखा मैने इंसानियत के पते पर...! डाकिया ही च

खत जो लिखा मैने इंसानियत के पते पर...!
डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते...! #खत#
खत जो लिखा मैने इंसानियत के पते पर...!
डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते...! #खत#