वो मिले हमसे कुछ यू जैसे बदलो से हवाएं मिला करती है। उनसे मिलकर हम रहराए यू जैसे हवाएं चलने पर बालो की लटे लहराया करती है । अब तो आलम ये है ना बदलो का साया है ना हवाओ का लहराना दिल ऐसा है जैसे बिना बारिश के बंजर जमीन पर पत्तियों का मुरझा जाना......!!! ©Deep_thought अब तो मिलना जैसे बंजर जमीन पर कोई कली खिलना।।।। #OurMeetings