#Womens_Day
हर दर्द सहे हंसकर जबतक वो,लगती सबको बेचारी है,
हो जब बात आत्मसम्मान की,फिर बन जाती दुर्गा नारी है
कर देती है बलिदान खुद को बस अपनों की खुशी के लिए
समझे ना कीमत हर कोई इसकी, देती जाने कितनी कुर्बानी है
हर फर्ज़ निभा जाती, हर बार झुक जाती, फिर भी जाने क्यूं सबकी अराति है
बस प्यार के दो बोल ही काफी है उसको फिर देखो नारी कितनी प्यारी है