अपने खैर ख्वाह, अज़ीज़ दोस्त व अकारिब के मशवरों के बाद मै मेहरबान सैफी इस बात का ऐलान करता हूँ, कि शायरी की दुन्या में मुझे मेहरबान सैफी के बजाय मेहरबान अमरोहवी के नाम से जाना जाए। (शुक्रिया)