संकल्प के वृक्ष जो तनिक हवा से डर जाते हैं, जो देख विपत्ति मुड़ जाते हैं, जीवन की राह में लड़खड़ाकर, सपनों के पथ से हट जाते हैं। क्या धरा पर वो टिक पाते हैं? जो मुश्किलों से घबराते हैं। हर शाख झुके जो बोझ से, क्या फल कभी वो दे पाते हैं? वृक्ष वही, जो अडिग खड़ा हो, आंधी में भी सीना तना हो। जड़ें गहरी, विश्वास दृढ़, जो पर्वतों से भी बड़ा हो। विपदाएं जब झंझा बन घूमें, तो झुकें नहीं, बस स्थिर झूलें। सह लें हर चोट, हर प्रहार, पर न कभी अपने धर्म से डोलें। संकल्प हो अगर अडिग तुम्हारा, हर तूफान झुकेगा तुम्हारा। फिर कोई हवा रोक नहीं पाएगी, सपनों को हकीकत बनाएगी। ©Writer Mamta Ambedkar #Sukha