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डस रहे हैं तन्हाई के लम्हें, हँस रहे हैं अपने..!

 डस रहे हैं तन्हाई के लम्हें,
हँस रहे हैं अपने..!

बस एक मौके की तलाश में,
चापलूसी लगे करने..!

कहाँ जाऊँ किससे मिलूँ,
ज़ुबाँ पे ख़ुदा ख़ुदा लगे रटने..!

चाहा क्या था मिला ही क्या,
टूटे सारे सपने..!

ख़त तो लिखे हैं खता बहुत की,
इश्क़ लगा जब हमसे कटने..!

जुड़ गई ग़म की महफ़िल अब तो,
सुख का साया लगा घटने..!

क़रीब बहुत थे अमीरी में,
ग़रीबी में पीछे लगे सब हटने..!

©SHIVA KANT
  #Hum #tanhayikelamhen