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चार गधों को घोडे़ के साथ दौड़ लगाने का विचार आया व

चार गधों को घोडे़ के साथ
दौड़ लगाने का विचार आया
विचार करके चारों गधों ने
घोडे़ के सामने यह फरमाया-

मानी जाएगी चारों की जीत
जो एक भी आगे निकल आया
यह अजीब शर्त सुनकर भी
घोडे़ ने ' हाँ ' में सिर हिलाया ।

देखकर गधे मुस्कुराने लगे
सुखद ध्वनि निकालने लगे
जैसे उनके सोये भाग जगे
दूसरे ही दिन तैयारी पर लगे ।

गधों को सम्मिलित शक्ति का दम्भ हुआ
जैसे-तेसे, घोडे़-गधे की दौड़ का आरम्भ हुआ ।

तब तक नहीं रूके
जब तक नहीं थके ।

जैसा कि परिणाम भी तय था
इसमें न कही कोई संशय था ।

आखिरकार 'गर्दभ-दल' हार गया
अश्व विजय-रेखा के पार गया ।

जीत का जश्न मनाते हुए
घोडे़ का मन बदला
चुप नहीं बैठेंगें 'गधे'
लेंगे हार का बदला ।

क्या कीमत हो सकती है ?
यह सोचते हुए वह घर आया
दूसरे ही दिन गधा कागज लाया
समझ गया, ट्रांसफर आॅर्डर आया ।

-रमेश 'लक्ष्यभेदी'
चित्तौड़गढ़ हास्य-व्यंग्य
चार गधों को घोडे़ के साथ
दौड़ लगाने का विचार आया
विचार करके चारों गधों ने
घोडे़ के सामने यह फरमाया-

मानी जाएगी चारों की जीत
जो एक भी आगे निकल आया
यह अजीब शर्त सुनकर भी
घोडे़ ने ' हाँ ' में सिर हिलाया ।

देखकर गधे मुस्कुराने लगे
सुखद ध्वनि निकालने लगे
जैसे उनके सोये भाग जगे
दूसरे ही दिन तैयारी पर लगे ।

गधों को सम्मिलित शक्ति का दम्भ हुआ
जैसे-तेसे, घोडे़-गधे की दौड़ का आरम्भ हुआ ।

तब तक नहीं रूके
जब तक नहीं थके ।

जैसा कि परिणाम भी तय था
इसमें न कही कोई संशय था ।

आखिरकार 'गर्दभ-दल' हार गया
अश्व विजय-रेखा के पार गया ।

जीत का जश्न मनाते हुए
घोडे़ का मन बदला
चुप नहीं बैठेंगें 'गधे'
लेंगे हार का बदला ।

क्या कीमत हो सकती है ?
यह सोचते हुए वह घर आया
दूसरे ही दिन गधा कागज लाया
समझ गया, ट्रांसफर आॅर्डर आया ।

-रमेश 'लक्ष्यभेदी'
चित्तौड़गढ़ हास्य-व्यंग्य

हास्य-व्यंग्य #कविता