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जब तक प्यार था तब तक सब जायज़ था, प्यार खत्म वही स

जब तक प्यार था तब तक सब जायज़ था,
प्यार खत्म वही सब नाजायज़ हो गया ?
जब तक साथ थे वो पल प्यार के थे और
प्यार खत्म तो वही बलात्कार हो गया ?  
दो लोगों की गु़फ्तगू में तब न जिक्र था दुनिया का,
आज वही दो लोग घर-घर का अखबार हो गए।
हवस को क्या खूब नाम दिया दो लोगों ने प्यार का,
पल जो कल तक बेहद निजी थे आज सरेआम हो गए।

©पRi #stopblamingyourpartner
#blindLove
जब तक प्यार था तब तक सब जायज़ था,
प्यार खत्म वही सब नाजायज़ हो गया ?
जब तक साथ थे वो पल प्यार के थे और
प्यार खत्म तो वही बलात्कार हो गया ?  
दो लोगों की गु़फ्तगू में तब न जिक्र था दुनिया का,
आज वही दो लोग घर-घर का अखबार हो गए।
हवस को क्या खूब नाम दिया दो लोगों ने प्यार का,
पल जो कल तक बेहद निजी थे आज सरेआम हो गए।

©पRi #stopblamingyourpartner
#blindLove
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