रास आया न मुझको जो अपना पता, पूछ बैठा मैं दिल से तुम्हारा पता। दिल में अपने छुपाया था तुमने मुझे, तुमसे पूछा था जब ज़िंदगी का पता। कर दे इज़हार जानां लबों से अभी, दे दिया है जो तूने यूँ दिल का पता। इश्क़ में बढ़ चुका हूँ मैं आगे बहुत, वापसी का नहीं मुझको रस्ता पता। हार बैठा हूँ क्या क्या मैं तुमसे कहूँ, कुछ नहीं है ख़बर क्या पता क्या पता। बड़े दिनों बाद कुछ बना है।। बस बन गया।। इश्क़ से ताल्लुक रखती हैं ये पंक्तियाँ, ज़रा इश्क़ से पढ़ियेगा।। ~ इकराश़ #ग़ज़ल_ए_इकराश़ #YqBaba #YqDidi #इकराश़नामा