रोज मिलने के सपने सजाती हो कही दूर बैठकर मिलने बुलाती हो उलझा हू आपकी उलझन में बिगड़े रिश्ते को कैसे बचाऊं अब तुम ही कह दो जान तुम तक कैसे आऊं। अपनी सरहद तोड़ न पाऊँ, तुम तक कैसे आऊँ... #तुमतक #collab #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi