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रोज मिलने के सपने सजाती हो कही दूर बैठकर मिलने बुल

रोज मिलने के सपने सजाती हो
कही दूर बैठकर मिलने बुलाती हो
उलझा हू आपकी उलझन में
बिगड़े रिश्ते को कैसे बचाऊं
अब तुम ही कह दो जान 
तुम तक कैसे आऊं।
 अपनी सरहद तोड़ न पाऊँ,
तुम तक कैसे आऊँ...
#तुमतक #collab  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
रोज मिलने के सपने सजाती हो
कही दूर बैठकर मिलने बुलाती हो
उलझा हू आपकी उलझन में
बिगड़े रिश्ते को कैसे बचाऊं
अब तुम ही कह दो जान 
तुम तक कैसे आऊं।
 अपनी सरहद तोड़ न पाऊँ,
तुम तक कैसे आऊँ...
#तुमतक #collab  #YourQuoteAndMine
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shayar7891036092987

Shayar

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