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(ग़ज़ल_ए_मयकदा) कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई आ

(ग़ज़ल_ए_मयकदा)

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएं,रात हो गई

बिल जो लाया वेटर पेश ए खिदमत
हम ने कहाँ मियां ये भी क्या बात हो गई

आंखे तरेर नथुने फड़काते कहने लगा मुआ
चखने की प्लेट पांच और बोतल सात हो गई

हम भी थे फुल टुन्न मयकदे में इस कदर
कॉलर पकड़ ली कि तेरी ये औकात हो गई?

बस फिर कानों में गूंजे आखरी शब्द यही के
पसलियों में पड़ेंगे घुसंड कूल्हों पे तो चार लात हो गई!!
😂😂😂

©S N Gurjar #forbiddenlove 
#अपना_पागल_खाना
(ग़ज़ल_ए_मयकदा)

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएं,रात हो गई

बिल जो लाया वेटर पेश ए खिदमत
हम ने कहाँ मियां ये भी क्या बात हो गई

आंखे तरेर नथुने फड़काते कहने लगा मुआ
चखने की प्लेट पांच और बोतल सात हो गई

हम भी थे फुल टुन्न मयकदे में इस कदर
कॉलर पकड़ ली कि तेरी ये औकात हो गई?

बस फिर कानों में गूंजे आखरी शब्द यही के
पसलियों में पड़ेंगे घुसंड कूल्हों पे तो चार लात हो गई!!
😂😂😂

©S N Gurjar #forbiddenlove 
#अपना_पागल_खाना