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ख्वाहिशों का मैं मारा हूँ नए लिबास में मैं पुराना

ख्वाहिशों का मैं मारा हूँ
नए लिबास में मैं पुराना हूँ,

रेगिस्तान की मिट्टी हूँ मैं
महज़ एक बूंद का प्यासा हूँ,

बस एक पौधे को सब्ज़ करने
न जाने क्यों अपनी नमी खो रहा हूँ,

अब तो यही लगता है बस 
मैं बोहोत जल्दी मरनें वाला हूँ, 

      - मनीष महरानियाँ #मरने_वाला_हूँ
ख्वाहिशों का मैं मारा हूँ
नए लिबास में मैं पुराना हूँ,

रेगिस्तान की मिट्टी हूँ मैं
महज़ एक बूंद का प्यासा हूँ,

बस एक पौधे को सब्ज़ करने
न जाने क्यों अपनी नमी खो रहा हूँ,

अब तो यही लगता है बस 
मैं बोहोत जल्दी मरनें वाला हूँ, 

      - मनीष महरानियाँ #मरने_वाला_हूँ